तीसरा वेतन आयोग: वेतन और कल्याण का मिश्रण

आजादी के बाद भारत सरकार ने देश के विकास के लिए कई कदम उठाए. इनमें से एक महत्वपूर्ण कदम था सरकारी कर्मचारियों के लिए उचित वेतन व्यवस्था का निर्माण करना. पहले दो वेतन आयोगों (1946 और 1957) ने इस दिशा में अहम भूमिका निभाई थी. लेकिन सरकारी कर्मचारियों की ज़रूरतों और अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए और भी कदम उठाए जाने की ज़रूरत थी.

तीसरा वेतन आयोग वेतन और कल्याण का मिश्रण Third Pay Commission A mix of pay and welfare

इसी उद्देश्य से सन 1973 में भारत सरकार ने तीसरे वेतन आयोग का गठन किया. आइए, इस लेख में तीसरे वेतन आयोग और उसकी सिफारिशों के बारे में विस्तार से जानते हैं.

तीसरा वेतन आयोग का गठन

तीसरे वेतन आयोग का गठन अप्रैल 1973 में किया गया था. यह आयोग भारत के स्वतंत्र होने के लगभग 26 साल बाद बनाया गया था. इस आयोग के अध्यक्ष श्री हिताशी वर्धन जी थे, जो एक जाने-माने न्यायाधीश थे. आयोग में कुल छह सदस्य थे.

सरकार ने आयोग को यह ज़िम्मेदारी दी थी कि वे केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन, भत्तों और सेवा शर्तों की समीक्षा करें और भविष्य के लिए सिफारिशें दें.

तीसरा वेतन आयोग के सामने चुनौतियां

तीसरे वेतन आयोग के सामने भी पहले और दूसरे वेतन आयोगों की तरह ही कई चुनौतियां थीं:

  • 1970 का दशक: महंगाई और आर्थिक अस्थिरता: 1970 का दशक भारत के लिए आर्थिक रूप से कठिन दौर था. इस दौरान देश में महंगाई काफी बढ़ गई थी. ऐसे में आयोग को यह सुनिश्चित करना था कि वेतन वृद्धि से ज़्यादा बोझ सरकार के ख़र्च पर न पड़े.
  • वेतन असमानता को कम करना: विभिन्न विभागों और पदों पर कर्मचारियों के वेतन में अभी भी असमानता थी. आयोग को ऐसी व्यवस्था बनानी थी जिससे यह असमानता कम हो सके.
  • सरकारी कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाना: बेहतर वेतन और सेवा शर्तों से सरकारी कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाना और उन्हें ज़्यादा कुशलता से काम करने के लिए प्रेरित करना ज़रूरी था.

तीसरा वेतन आयोग की सिफारिशें

तीसरे वेतन आयोग ने 1975 में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी. इस रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण सिफारिशें की गईं, जिन्होंने न केवल सरकारी कर्मचारियों के वेतन बल्कि उनके कल्याण को भी प्रभावित किया.

  • वेतन वृद्धि और संशोधित वेतनमान: आयोग ने सिफारिश की कि सरकारी कर्मचारियों के वेतन में उचित वृद्धि की जाए. साथ ही, आयोग ने वेतनमानों में भी संशोधन की सिफारिश की.
  • महंगाई भत्ता (DA) में वृद्धि: महंगाई को देखते हुए आयोग ने महंगाई भत्ते (DA) में भी वृद्धि की सिफारिश की.
  • तीसरा वेतन आयोग की अनूठी सिफारिशें: तीसरे वेतन आयोग की कुछ सिफारिशें इसे पहले और दूसरे वेतन आयोगों से अलग बनाती हैं. इनमें से कुछ महत्वपूर्ण सिफारिशें हैं:
    • सामाजिक सुरक्षा उपाय: आयोग ने सरकारी कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा उपायों को मज़बूत बनाने की सिफारिश की. इसमें चिकित्सा बीमा, दुर्घटना बीमा और पेंशन योजनाओं में सुधार शामिल था.
    • कार्य-स्थल सुविधाओं में सुधार: आयोग ने सरकारी कर्मचारियों के लिए कार्य-स्थल सुविधाओं जैसे कि आवास, परिवहन और बाल देखभाल सुविधाओं में सुधार की सिफारिश की.
    • कर्मचारियों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध: आयोग ने सिफारिश की कि सरकार को कर्मचारियों और नियोक्ताओं के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध बनाने के लिए प्रयास करने चाहिए. इसमें कर्मचारियों की शिकायतों का त्वरित निवारण और उनकी बातचीत के अधिकार को सम्मान देना शामिल था.
    • अन्य सिफारिशें: उपरोक्त सिफारिशों के अलावा, तीसरे वेतन आयोग ने सरकारी कार्यालयों में कार्यकुशलता बढ़ाने और प्रशासनिक सुधारों से जुड़ी कई अन्य सिफारिशें भी कीं.

तीसरा वेतन आयोग की सिफारिशों का प्रभाव

तीसरे वेतन आयोग की सिफारिशों को सरकार ने 1977 में स्वीकार कर लिया गया. इन सिफारिशों का सरकारी कर्मचारियों के जीवन और कार्य-व्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ा:

  • वेतन वृद्धि और बेहतर कल्याण: वेतन वृद्धि और महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी से सरकारी कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति बेहतर हुई. साथ ही, सामाजिक सुरक्षा उपायों और कार्य-स्थल सुविधाओं में सुधार से उनका जीवन स्तर भी ऊंचा हुआ.
  • सरकारी कर्मचारियों का मनोबल बढ़ा: बेहतर वेतन और कल्याण पैकेज से सरकारी कर्मचारियों का मनोबल बढ़ा. इससे सरकारी कार्यालयों में कार्यकुशलता में भी सुधार हुआ.
  • सरकार के ख़र्च में वृद्धि: हालांकि, वेतन वृद्धि और कल्याण उपायों के कारण सरकार के ख़र्च में भी काफ़ी इजाफा हुआ.

विवाद और आलोचना

तीसरे वेतन आयोग की सिफारिशों की सराहना के साथ-साथ कुछ आलोचना भी हुई. कुछ लोगों का मानना था कि आयोग की सिफारिशें सरकारी ख़ज़ाने पर बहुत अधिक बोझ डालती हैं. वहीं, कुछ कर्मचारी संगठनों का कहना था कि वेतन वृद्धि अपेक्षा से कम थी.

तीसरे वेतन आयोग ने सरकारी कर्मचारियों के वेतन और कल्याण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इस आयोग की सिफारिशों ने न केवल कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि की बल्कि उनके जीवन स्तर को सुधारने के लिए कई कदम उठाए. साथ ही, भविष्य के वेतन आयोगों के लिए भी यह एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ.

Read Also:

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top