ट्रंप का नवीनतम “विशाल टैरिफ” दावा

डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत की व्यापार नीतियों को लेकर फिर से कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने भारत को “सबसे बड़ा टैरिफ चार्जर” बताते हुए कहा कि भारत विदेशी उत्पादों पर अत्यधिक शुल्क लगाता है, जिससे अमेरिकी कंपनियों को नुकसान होता है। उन्होंने अपने अभियान भाषण में यह भी कहा कि यदि वे दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं, तो “रिसिप्रोकल टैरिफ” (पारस्परिक शुल्क) प्रणाली लागू करेंगे, जिससे अमेरिका भी उन देशों पर समान शुल्क लगाएगा जो अमेरिकी उत्पादों पर भारी कर लगाते हैं।

ट्रंप ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए उन्हें “महान नेता” कहा, लेकिन साथ ही भारत की व्यापार नीति को अनुचित बताया। उन्होंने विशेष रूप से हार्ले-डेविडसन का उदाहरण दिया, जिसे भारत में 100% तक का शुल्क देना पड़ा था। हालांकि, इस मुद्दे को उनके राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान आंशिक रूप से सुलझाया गया था, जब भारत ने इस शुल्क को कम किया था।

इससे पहले भी ट्रंप ने भारत पर अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंधों में “दुरुपयोग” करने का आरोप लगाया था। हालांकि, मोदी और ट्रंप की व्यक्तिगत मित्रता जगजाहिर है, लेकिन व्यापार को लेकर ट्रंप की शिकायतें बनी हुई हैं। ट्रंप ने यह भी कहा कि भारत चीन से भी अधिक शुल्क वसूलता है, लेकिन यह काम “मुस्कुराकर” करता है।

ट्रंप की ये टिप्पणियां ऐसे समय आई हैं जब वे 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में दोबारा चुनावी दौड़ में हैं और अपने आर्थिक एजेंडे को प्रमुखता से रख रहे हैं। उन्होंने वादा किया कि यदि वे फिर से चुने जाते हैं, तो अमेरिकी व्यापार को अधिक लाभकारी बनाने के लिए कड़े फैसले लेंगे।

  1. ट्रंप के बयानों का ऐतिहासिक संदर्भ – अमेरिका की व्यापार नीति में भारत की भूमिका
  2. आर्थिक विश्लेषण – अमेरिका-भारत व्यापारिक संबंधों में टैरिफ का प्रभाव
  3. वैश्विक व्यापार पर असर – भारत-अमेरिका व्यापार नीति का अन्य देशों और संगठनों पर प्रभाव
  4. राजनीतिक प्रभाव – ट्रंप के बयान का अमेरिकी राजनीति, भारत-अमेरिका संबंधों और वैश्विक कूटनीति पर प्रभाव
  5. भारत की प्रतिक्रिया – भारत सरकार और उद्योग जगत की प्रतिक्रियाएँ

1. ट्रंप के बयानों का ऐतिहासिक संदर्भ

डोनाल्ड ट्रंप ने पहले भी कई बार भारत की व्यापार नीति को अनुचित बताया है। उनके राष्ट्रपति कार्यकाल (2017-2021) के दौरान उन्होंने भारत पर शुल्क लगाने के कई फैसले किए, जिसमें जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेस (GSP) कार्यक्रम को खत्म करना भी शामिल था, जिससे भारत को अमेरिकी बाजार में कुछ कर-मुक्त लाभ मिलते थे।

भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक मतभेदों की जड़ें काफी गहरी हैं। 2018 में, अमेरिका ने भारत से आयातित स्टील और एल्यूमीनियम पर 25% और 10% टैरिफ लगा दिए थे, जिसका भारत ने बदले में बादाम और सेब समेत कई अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क बढ़ाकर जवाब दिया।

ट्रंप की व्यापारिक नीति हमेशा “अमेरिका फर्स्ट” के सिद्धांत पर आधारित रही है। उन्होंने न केवल भारत बल्कि चीन, यूरोप और कनाडा पर भी टैरिफ लगाने की नीति अपनाई।

2. आर्थिक विश्लेषण: टैरिफ के प्रभाव

भारत और अमेरिका के बीच 2023 में कुल व्यापार $128.8 बिलियन तक पहुँच गया था। लेकिन ट्रंप के टैरिफ बयानों से यह प्रभावित हो सकता है।

  • अमेरिका को नुकसान:

    • भारत अमेरिकी टेक्नोलॉजी और रक्षा उपकरणों का एक बड़ा खरीदार है। टैरिफ बढ़ने से भारतीय कंपनियाँ अन्य बाजारों (जैसे यूरोप और रूस) का रुख कर सकती हैं।
    • कई अमेरिकी कंपनियाँ (जैसे ऐप्पल, माइक्रोसॉफ्ट और गूगल) भारत में अपना उत्पादन और निवेश बढ़ा रही हैं। व्यापारिक तनाव इन कंपनियों को नुकसान पहुँचा सकता है।
  • भारत को नुकसान:

    • भारत अमेरिका को वस्त्र, औषधि और आईटी सेवाओं का बड़ा निर्यातक है। यदि टैरिफ बढ़ते हैं, तो भारतीय निर्यातकों के लिए प्रतिस्पर्धा कठिन हो सकती है।
    • अमेरिकी कंपनियाँ भारत में विनिर्माण बढ़ाने की योजना बना रही हैं, लेकिन व्यापारिक मतभेद निवेश को प्रभावित कर सकते हैं।

3. वैश्विक व्यापार पर असर

भारत और अमेरिका के व्यापारिक मतभेदों का असर अन्य देशों और वैश्विक संगठनों पर भी पड़ेगा:

  • विश्व व्यापार संगठन (WTO): अमेरिका द्वारा भारत पर टैरिफ बढ़ाने से WTO में व्यापार विवाद बढ़ सकते हैं।
  • चीन को लाभ: यदि भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंध कमजोर होते हैं, तो चीन अमेरिकी कंपनियों के लिए विकल्प बन सकता है।
  • यूरोपीय संघ की स्थिति: भारत अधिक यूरोपीय कंपनियों की ओर आकर्षित हो सकता है, जिससे अमेरिका को प्रतिस्पर्धा बढ़ानी पड़ेगी।

4. राजनीतिक प्रभाव: ट्रंप की बयानबाजी का असर

  • अमेरिकी राजनीति:

    • ट्रंप भारत को लेकर यह बयान ऐसे समय में दे रहे हैं जब वे 2024 के चुनावों के लिए अभियान चला रहे हैं।
    • भारतीय-अमेरिकी समुदाय अमेरिका में एक मजबूत आर्थिक और राजनीतिक शक्ति बन चुका है। ट्रंप के बयान उनके समर्थन को प्रभावित कर सकते हैं।
  • भारत-अमेरिका संबंध:

    • पीएम नरेंद्र मोदी और ट्रंप की व्यक्तिगत मित्रता होने के बावजूद, व्यापारिक मतभेद द्विपक्षीय संबंधों को जटिल बना सकते हैं।
    • यदि बाइडेन प्रशासन ट्रंप की नीतियों को जारी रखता है, तो भारत को व्यापारिक रणनीति बदलनी पड़ सकती है।

5. भारत की प्रतिक्रिया और आगे का रास्ता

भारत सरकार ट्रंप के इन आरोपों को लेकर आधिकारिक बयान जारी कर सकती है। भारतीय उद्योग जगत भी इस पर अपनी रणनीति तैयार कर सकता है।

संभावित कदम:

  • व्यापार वार्ता: भारत अमेरिका से व्यापारिक तनाव कम करने के लिए नई बातचीत कर सकता है।
  • अन्य व्यापारिक साझेदारों की तलाश: भारत यूरोपीय संघ, जापान और दक्षिण कोरिया के साथ अपने व्यापार संबंध मजबूत कर सकता है।
  • नए नीतिगत सुधार: भारत अमेरिकी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए व्यापारिक नियमों को आसान बना सकता है।

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